Wednesday 13 March 2024

National Education Policy–2020 And Classroom Transactions

 National Education Policy–2020 And Classroom Transactions

National Education Policy – 2020 aims to provide quality education by 2030 not only for life changing but also mind crafting and character-building experiences along with a sound knowledge base. NEP-2020 also envisages to have an education system based on Bharatiya ethos for transforming India into a global knowledge super power.

 

Hence, there is a big shift in the way we educate. Now the concentration is more on Holistic Education (Samagra Siksha) along with all-round development (Sarvangeena Vikasa) of a student. The thrust is more on building competencies and specific learning outcomes with a reduced content. Now that teacher has to get enriched, empowered, upskilled, upgraded and updated to meet these challenges.

 

Learning Teaching Methods (Pedagogical Changes)

1.Joyful Learning

2. Experiential Learning

3. Interactive Learning

4. Activity Based Learning

5. Holistic (Head, Heart, Hand)  Learning

6. Learner centric process

7. Inclusive learning

8.Inquiry based learning

9. Collaborative learning

10. Creative learning

11. Communicative (interactive)

12. Digital learning

13. Discussion oriented

14. Multi-disciplinary

15. Competency based

16. Knowledge based

17. Logical thinking based

18. Scientific temperament based

19. Problem solving

20. Interdisciplinary approach

21. Trans-disciplinary approach

22. Teaching under the sky

 

Learning Strategies

1.Reading and reflection

2. Group task& presentation

3. Seminar

4. Dramatization

5. Quiz

6. Conferencing (press or general)

7. Mind / concept mapping

8. Mock parliament

9. Field trips and visits

10. Interview

11. Debate

12. Story narration

13. Pictorial story/ graphic reading/image harvesting

14. Emotional formation

 

Learning Areas of integration in the concerned subjects

1.Bharateeya Jnana Parampara

2. Music, Dance, Drama

3. Art, Drawing, Painting

4. Value Education

5. Culture transmission (Sensitization)

6. Digital Literacy

7. Adhara Bhoota Vishaya

8. Vocational Education

9. Whole class activity

10. Group activity (Homogeneous & Heterogeneous)

11. Pair activity

12. Outside the class room   (Societal activity)

सीखने की शिक्षण विधियाँ

सीखने की शिक्षण विधियाँ: समग्र और प्रभावी शिक्षा के लिए योजना

प्रस्तावना

शिक्षा विधियों का चयन और उनके प्रयोग से छात्रों को समग्र शिक्षा प्राप्त करने में सहायक होता है। इस लेख में, हम विभिन्न शिक्षा विधियों को समझेंगे और उनके लाभों को समझेंगे जो छात्रों को व्यक्तित्व विकास और शिक्षा के क्षेत्र में अधिक समझदार बनाते हैं।

आनंदपूर्ण शिक्षा

आनंदपूर्ण शिक्षा की प्रक्रिया में शिक्षक और छात्र दोनों को सक्रिय भागीदार बनाया जाता है। यह विधि छात्रों को ज्ञान और अनुभव के माध्यम से शिक्षा प्रदान करती है, जिससे उन्हें स्वतंत्रता का महसूस होता है और उनका रूचि शिक्षा के प्रति बढ़ता है।

अनुभवात्मक शिक्षा

अनुभवात्मक शिक्षा छात्रों को वास्तविक जीवन में अनुभव कराकर सीखने का अवसर प्रदान करती है। यह शिक्षा विधि छात्रों को संवाद कौशल, समस्या समाधान कौशल, और सहनशीलता कौशल सिखाती है।

इंटरैक्टिव लर्निंग

इंटरैक्टिव लर्निंग के माध्यम से, छात्रों को विभिन्न शिक्षा संसाधनों का उपयोग करके विषय को समझाने का अवसर प्रदान किया जाता है। यह विधि छात्रों को स्वतंत्रता और सक्रियता के अनुभव का मौका देती है।

गतिविधि आधारित शिक्षा

गतिविधि आधारित शिक्षा में, छात्रों को गतिविधियों और खेल के माध्यम से शिक्षा प्रदान की जाती है। यह शिक्षा विधि उन्हें सहयोग, टीमवर्क, और समस्या समाधान कौशल विकसित करने में मदद करती है।

समग्र (सिर, हृदय, हाथ) सीखना

समग्र सीखना विधि छात्रों को विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, और राष्ट्रीय मूल्यों का अध्ययन करने का अवसर प्रदान करती है। यह विधि छात्रों को सामाजिक संवाद कौशल, समर्थन कौशल, और सहयोगात्मकता कौशल सिखाती है।

शिक्षार्थी केन्द्रित प्रक्रिया

शिक्षार्थी केन्द्रित प्रक्रिया में, शिक्षार्थी को उनकी आवश्यकताओं और रुचियों के आधार पर शिक्षा प्रदान की जाती है। यह विधि उनके व्यक्तित्व विकास और सीखने में सहायक होती है।

समावेशी शिक्षा

समावेशी शिक्षा विधि विभिन्न छात्रों को समाज के अन्य सदस्यों के साथ संवाद करने का मौका प्रदान करती है। यह विधि छात्रों को समझदारी, सहनशीलता, और समर्थन कौशल सिखाती है।

पूछताछ आधारित शिक्षा

पूछताछ आधारित शिक्षा में, शिक्षार्थियों को स्वतंत्रता के साथ समझौता करने का मौका मिलता है। यह विधि छात्रों को स्वतंत्र सोच, निर्णय लेने की क्षमता, और विवेकपूर्ण सोच सिखाती है।

सहयोगात्मक शिक्षा

सहयोगात्मक शिक्षा में, छात्रों को सहयोग और समर्थन के माध्यम से शिक्षा प्रदान की जाती है। यह विधि छात्रों को समस्या समाधान, टीमवर्क, और सहनशीलता कौशल सिखाती है।

रचनात्मक सीख

रचनात्मक सीख विधि छात्रों को रचनात्मक सोच, नवाचार, और समस्या समाधान कौशल सिखाती है। यह विधि छात्रों को स्वतंत्रता का अनुभव कराती है और उनके सोचने का तरीका बदलती है।

संचारी (इंटरैक्टिव)

संचारी शिक्षा में, छात्रों को संवाद कौशल, सुनने की क्षमता, और सहयोग कौशल सिखाती है। यह विधि उन्हें सम्मान, संवाद, और सहयोग का मौका प्रदान करती है।

डिजिटल लर्निंग

डिजिटल लर्निंग के माध्यम से, छात्रों को नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग करके शिक्षा प्रदान की जाती है। यह विधि उन्हें तकनीकी ज्ञान, अनुभव, और स्वतंत्रता के अनुभव का मौका देती है।

चर्चा उन्मुख

चर्चा उन्मुख शिक्षा विधि छात्रों को विभिन्न विषयों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करती है। यह विधि उन्हें विचारशीलता, समझदारी, और सहयोगात्मकता का मौका देती है।

बहुविषयक

बहुविषयक शिक्षा विधि छात्रों को विभिन्न विषयों पर विद्या प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है। यह विधि उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त करने का मौका देती है।

योग्यता आधारित

योग्यता आधारित शिक्षा विधि छात्रों को उनकी योग्यता और रुचियों के आधार पर शिक्षा प्रदान करती है। यह विधि उन्हें स्वतंत्रता का महसूस कराती है और उन्हें उनके रूचियों के अनुसार विषय का चयन करने का मौका देती है।

ज्ञान आधारित

ज्ञान आधारित शिक्षा विधि छात्रों को ज्ञान और अनुभव के माध्यम से शिक्षा प्रदान करती है। यह विधि छात्रों को अधिक उत्साही और अधिक अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

तार्किक सोच आधारित

तार्किक सोच आधारित शिक्षा विधि छात्रों को विवेकपूर्ण सोच, निर्णय लेने की क्षमता, और समस्या समाधान कौशल सिखाती है। यह विधि उन्हें विवेकपूर्ण निर्णय लेने की क्षमता सिखाती है।

वैज्ञानिक स्वभाव आधारित

वैज्ञानिक स्वभाव आधारित शिक्षा विधि छात्रों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विषय का अध्ययन करने का मौका प्रदान करती है। यह विधि छात्रों को वैज्ञानिक सोचने की क्षमता सिखाती है।

समस्या समाधान

समस्या समाधान विधि छात्रों को समस्याओं का समाधान करने की क्षमता सिखाती है। यह विधि उन्हें विचारशीलता, सहनशीलता, और सहयोगात्मकता का मौका प्रदान करती है।

अंतःविषय दृष्टिकोण

अंतःविषय दृष्टिकोण शिक्षा विधियों को छात्रों के भावनात्मक और आत्मिक विकास को समझने में सहायक होती है। यह विधि छात्रों को अपने आत्म-सम्मान और समर्थन का मौका प्रदान करती है।

ट्रांस-डिसिप्लिनरी दृष्टिकोण

ट्रांस-डिसिप्लिनरी दृष्टिकोण विभिन्न विषयों और क्षेत्रों को सम्मिलित करने का मौका प्रदान करता है। यह विधि छात्रों को विविधता, समस्या समाधान कौशल, और सहनशीलता का मौका प्रदान करती है।

आसमान के नीचे पढ़ाना

आसमान के नीचे पढ़ाना विधि छात्रों को प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा प्रदान करने का मौका प्रदान करती है। यह विधि उन्हें प्राकृतिक संसाधनों के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करती है।

रणनीति सीखना

रणनीति सीखना विधि छात्रों को विविध रणनीतियों और विचारों का अध्ययन करने का मौका प्रदान करती है। यह विधि उन्हें विचारशीलता, निर्णय लेने की क्षमता, और सहनशीलता कौशल सिखाती है।

समापन

इस लेख में, हमने विभिन्न शिक्षा विधियों का विस्तारपूर्वक विवरण किया है जो छात्रों को समग्र और प्रभावी शिक्षा प्रदान करते हैं। ये विधियाँ छात्रों के व्यक्तित्व विकास और उनके शैक्षणिक सफलता में मदद करती हैं।

 


Tuesday 17 March 2020

स्वरुप एवं परिचय

शिशु मंदिर योजना का स्वरुप एवं परिचय

संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरुजी की प्रेरणा एवं हनुमान पोददार के प्रयास से सन् 1952 में प्रथम शिशु मंदिर, गोरखपुर उ.प्र. में प्रारम्भ हुआ। आज देष में लगभग 20 हजार शिशु मंदिर हैं।। इनमें 35 लाख छात्र एवं 1लाख30हजार आचार्य कार्यरत् हैं। कष्मीर से कन्याकुमारी एंव अटक से कटक(उड़ीसा) तक सभी राज्यों में शिशु मंदिर योजना के विद्यालय सफलतापूर्वक संचालित हैं सन् 1978 में इसे एक राष्ट्रीय संगठन का स्वरुप प्राप्त हुआ जिसे विद्याभारती अ.भा.शिक्षा संस्थान के नाम से जाना जाता है। सम्पूर्ण देष के 11 क्षेत्रों में 19 प्रादेशिक समितियाॅ इसका कार्य देख रही है । शिशु मंदिर मातृभाषा शिक्षण के सर्वश्रेष्ठ विद्यालय हैं। समाज का विष्वास प्राप्त कर विषेष रीतिनीति एवं कार्यपद्धति के साथ यह शिक्षा केन्द्र आगे बढ़ते जा रहें है।


शिशु मंदिर कार्य पद्धति:-

1. हमारी कार्यपद्धति दानव को मानव एवं मानव को देव बनाने की पद्धति है।

2. कार्यपद्धति का केन्द्र विद्या मंदिर है।

3. भारतीय संस्कृति एवं जीवनमूल्य के आधार पर सर्वांगीण विकास।

4. संस्कार युक्त शिक्षा के माध्यम से समाज परिवर्तन का प्रयास।

5. वन्दना सभा एवं परिणामकारी कार्यक्रम ।

6. भारतीय उत्सन एंव शारीरिक प्रदर्शन ।

7. प्रति सप्ताह बालसभा का आयोजन ।

8. वर्ष में न्यूनतम एक अभिभावक सम्मेलन,मातृसम्मेलन ।

9. वर्ष में एक बार भैया-बहिन का वन संचार ।

10. संस्कृति ज्ञान परीक्षा का आयोजन ।

11. राष्ट्रीय खेलकूद एवं विज्ञान मेला तथा बौद्धिक प्रतियोगिताऐं।

पंचपदी शिक्षा पद्दति

विद्यालय की शिक्षण पद्दति


स्वामी विवेकानंद के अनुसार " मनुष्य के भीतर समस्त ज्ञान अवस्थित है , जरूरत है उसे जागृत करने के लिए उपयुक्त वातावरण निर्मित करने की " शिक्षा की इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु विद्यालय में शिक्षण भारतीय मनोविज्ञान के सिध्दान्तो पर आधारित पंचपदी शिक्षा पद्दति के द्वारा किया है।.

जिसके निम्नलिखित चरण है.

(1) अधीति - इसके अंतर्गत आचार्य निर्धारित विषय वास्तु को विधियों को अपनाते हुए छात्रो के सम्मुख प्रस्तुत करते है.

(2) बोध - कक्षा कक्ष में ही पठित विषय वास्तु का तात्कालिक लिखित, मौखिक और प्रायोगिक अभ्यास कराया जाता है, जिससे छात्रो को अपने अधिगम का ज्ञान होता है.

(3) अभ्यास - कक्षा कक्ष में सम्पन्न होने वाली अभीती और बोध की प्रक्रिया के पश्चात् छात्रो को विषय वास्तु का ज्ञान विस्तृत और स्थायी करने हेतु गृहकार्य दिया जाता है. जिसका विधिवत निरिक्षण और मूल्याङ्कन किया जाता है.

(4) प्रयोग और प्रसार - छात्र स्वप्रेरणा से अपने अनुसार कार्य करने में आनंद अनुभव करता है, इसलिए विभिन्न विषयों से सम्बंधित विविध पुस्तको, पत्र-पत्रिकाओ आदि सामग्री का अध्ययन कराया जाता है. जिससे छात्र अपने अर्जित ज्ञान का विस्तार व प्रसार करते है.

वंदना सभा

National Education Policy–2020 And Classroom Transactions

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